Monday, November 3, 2008

अस्सी इक और जंग जीत गए

२ नवम्बर २००८, भारतीय विद्या भवन, एनएलएसआईयु बेंगलुरु का अखिल भारतीय एडमिट वन नाट्योत्सव......मशाल के चिट्ठों में एक और सुनहरा शब्द.....देश विदेश से थे प्रतियोगी और मशाल ने फिर से शमा जला दी....सर्वश्रेष्ठ नाटक प्रतियोगिता में मशाल द्वारा प्रस्तुत नाटक खराशें को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ और प्रत्युष को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता में दूसरे स्थान से नवाज़ा गया....पर महत्त्वपूर्ण ये नहीं है की हम जीते....महत्त्वपूर्ण ये है की we got a standing ovation at the end of our play.....पूरा प्रेक्षागृह खड़ा होकर तालियाँ बजा रहा था....यकीन मानिये इस से ज़्यादा खुशी की अनुभूति कभी किसी नाटक के बाद नही हुई होगी......और बाद में जब पता चला कि हमें कुछ पैसे भी मिलने वाले हैं तो फिर तो पूछिए ही मत....नाटक के बाद सबने समरकंद में स्वादिष्ट भोजन किया....और फिर खुशी खुशी वापस घर चल दिए.....अब अगर आप ये सोच रहे हैं कि आप इतना उम्दा नाटक देखने से वांछित रह गए तो घबराइये मत.....७ नवम्बर को सुबह १० बजे जेएसएस में हम यही गुलज़ार साहब का लिखा नाटक अभिनय नाट्योत्सव के दूसरे चक्र में प्रस्तुत करने जा रहे हैं....आपका हार्दिक स्वागत है कि आप वहां आयें और हमारा मनोबल बढ़ाएं....अगर ना आ पाएँ तो दुआ कीजिये कि हम द्वितीय चक्र भी पार कर जायें और अन्तिम चक्र में ८ तारीख को इसी नाटक का पुनः मंचन करें....आपकी शुभकामनाएं रहीं तो मशाल अभिनय में इस साल भी वैसे ही झंडे गाढ़ के आएगा जैसे पिछले वर्ष गाढे थे.....
मशाल प्रणाम

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