Tuesday, September 2, 2008

लगे रहो!!

एक लम्बी साँस ले कर छोड़ दी है, इस आस में कि मैं भी बहुत जल्दी वहां पहुँच जाऊँगा। आस नहीं कहना चाहिए, पहुंचना ही है, अगर नहीं पहुँचा तो स्मित मेरा आचार बनाकर ऐसे ही चूस जायेगा। आ रहा हूँ, कल ही। बढ़िया है दोस्तों लगे रहो. मैं अपने संवाद दो बार पढ़ चुका हूँ॥अभी तक याद नहीं किए हैं, सोच रहा हूँ, जो मन में आएगा बोल दूंगा॥ऐसे ही मेरे संवाद ;-) हाँ हाँ, याद कर लेंगे, आने से पहले। कई बार सोचते हैं, कि वहीँ आ कर बस जाएँ..लेकिन बस कदम बढ़ ही नहीं पाते। शायद कभी जोर का झटका धीरे से लगेगा और मैं अगली सुबह वहीँ पाया जाऊँगा, तुम लोगों के बीच. फिलहाल तो मूवीज़ और किताबें पढ़ कर समय गुजार रहे हैं. अभी हाल ही में "camera buff" देखी, बिल्कुल तुम लोगों की कहानी है, एक polish मूवी है, समय मिले तो सब लोग साथ में देखना..और हाँ, मैं एक और नाटक लिख रहा हूँ, वहां आऊंगा तो पढेंगे..स्मित को थोड़ा बहुत आईडिया है..मेरे पास यहाँ कुछ नाटक पड़े हुए हैं, देखो अगर ला पाया तो ले आऊंगा, तुम लोगों के "संवाद" में काम आयेंगे..जल्दी ही मिलते हैं..
चिरंजीवी भवः, मशाल!
विजयी भवः, मशाल!!

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